Agriculture News

जीरे की फसल के लिए घातक साबित हो रहे ये रोग, किसान भाई जानें बचाव के आसान तरीके

नई दिल्ली: आजकल जीरे की फसल में किसानों की दिलचस्पी दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। इसकी मांग (demand) सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों (export market) में भी ज़बरदस्त है। लेकिन जितना बड़ा मुनाफा (profit) दिखता है उतना ही बड़ा खतरा भी मंडराता है।

हरियाणा में सर्दी का गेम अभी नहीं नहीं खत्म, 31 जनवरी से इन 6 जिलों में घने कोहरे का अलर्ट

जी हां जीरे की फसल को कई तरह के रोग लग सकते हैं जो पूरे सीजन की मेहनत पर पानी फेर सकते हैं। इनमें से तीन बड़े “विलेन” हैं- छाचा रोग, झुलसा रोग और उखता रोग (Wilt disease)। चलिए इनसे जुड़ी जानकारी और देसी जुगाड़ समझते हैं।

फसल का सबसे बड़ा दुश्मन

छाचा रोग जीरे की फसल में ऐसा कहर बरपाता है जैसे पड़ोसी की बकरी खेत में घुस जाए। इसमें पौधे पीले पड़ जाते हैं और उनकी पत्तियां झड़ने लगती हैं। अगर समय पर ध्यान न दिया जाए तो पूरी फसल चौपट हो सकती है।

फंगस से झुलसती फसल

झुलसा रोग (Blight disease) फंगस के कारण होता है और पौधों की पत्तियों पर भूरे-भूरे धब्बे (spots) दिखने लगते हैं। अगर इस पर समय रहते काबू न पाया गया तो यह तेजी से फैलता है और उत्पादन (yield) को बुरी तरह प्रभावित करता है।

खड़े पौधे को जड़ से उखाड़ने वाला

इस बीमारी का नाम ही काफी है। यह पौधे की जड़ों को निशाना बनाता है और पूरा पौधा धीरे-धीरे सूखने लगता है। इससे बचने के लिए मिट्टी की खास देखभाल करनी पड़ती है।

जीरे की फसल को बचाने के देसी नुस्खे

अब सवाल उठता है कि जीरे की फसल को इन “दुश्मनों” से कैसे बचाया जाए? तो भाई थोड़ा देसी अंदाज़ अपनाइए और खेती को इन रोगों से बचाने के लिए नीचे दिए गए तरीके अपनाइए।

1. गोबर खाद का जादू

भाई, पुरानी कहावत है- “गोबर का सही इस्तेमाल, फसल को कर देगा मालामाल।” तो सबसे पहले प्रति हेक्टेयर खेत में 8-10 टन गोबर खाद डालें। यह मिट्टी की गुणवत्ता (soil quality) सुधारता है और फसल को रोगों से लड़ने की ताकत देता है।

2. गहरी जुताई

गर्मियों में खेत की गहरी जुताई करना बहुत जरूरी है। इससे मिट्टी में छुपे फंगस और बैक्टीरिया (bacteria) धूप से खत्म हो जाते हैं। साथ ही, खेत की सफाई का भी खास ध्यान रखें ताकि खरपतवार (weeds) खत्म हो जाएं।

Mandi Bhav: हरियाणा की सिरसा मंडी में फसलों के ताजा रेट जारी, जानें आज के भाव

3. जैविक खेती का तड़का

जीरे की खेती में जैविक नुस्खे कमाल दिखाते हैं। 100 किलो सड़े हुए गोबर में 1 किलो ट्राइकोडर्मा (Trichoderma) मिलाएं और इसे छांव में 10-15 दिन तक रखें। जब इस पर हरि परत (green layer) बन जाए, तो इसे खेत में डालें। यह फसल को रोगों से बचाने का दमदार उपाय है।

4. मिट्टी का स्प्रे और बीज उपचार

मिट्टी और बीजों (seeds) का सही तरीके से उपचार करें। ट्राइकोडर्मा का स्प्रे खेत में डालने से मिट्टी में मौजूद रोगाणु (pathogens) खत्म हो जाते हैं और फसल सुरक्षित रहती है।

5. नियमित निरीक्षण और स्प्रे

भाई, फसल का हाल-चाल (inspection) लेना बहुत जरूरी है। समय-समय पर खेत में निरीक्षण करें और जरूरत पड़ने पर जैविक स्प्रे का इस्तेमाल करें।

हमें Google News पर फॉलो करे- क्लिक करे! Haryana की ताज़ा खबरों के लिए अभी हमारे हरियाणा ताज़ा खबर व्हात्सप्प ग्रुप में जुड़े!

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button